इस गांव में दूध बेचने पर मिलती है सजा, कांप जाती है रूह
गणेश शाक्य

Bhind news: आपके घर में भैंस है और वह भैंस दूध भी देती है लेकिन आप उस भैंस के दूध को बेचकर दो पैसे कमाना चाहते हैं तो ऐसा संभव नहीं है क्योंकि दूध बेचने पर आपको एक ऐसी सजा मिल सकती है जिसे सोचकर भी रूह कांप उठेगी। जी हां इस सजा के डर से लोग भैंस का दूध बेचने की बात सपने में भी नहीं सोचते हैं। भैंस का दूध बेचने की बात जहन में आते ही लोगों की रूह कांप उठती है।
कमई का पुरा गांव में भैंस का दूध बेचने पर मिलती है सजा।
भिंड के कमई का पुरा गांव में रहने वाले ग्रामीणों को अपनी ही भैंस का दूध बेचने पर सजा मिल जाती है। सजा भी ऐसी कि लोग उसके बारे में सोच कर भी सिहर उठते हैं। अगर कोई ग्रामीण भैंस का दूध बेचता है तो या तो उसकी भैंस के थन से खून निकलने लगता है या फिर उस भैंस की मौत हो जाती है। इतना ही नहीं, जिस घर में भैंस का दूध बेचने का काम किया जाता है उस घर में कोई भी बड़ी अनहोनी हो सकती है और किसी की जान भी जा सकती है।
ग्रामीण करते हैं इन बातों का दावा।
भैंस के थन से दूध आने की बात हो या भैंस के मर जाने की बात हो, या फिर घर में किसी अनहोनी के होने की बात हो, यह सभी दावे कमई का पुरा गांव के ग्रामीणों द्वारा किए जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसा उन्होंने कई बार देखा है कि गांव के किसी व्यक्ति ने अपनी भैंस का दूध बेचने की कोशिश की तो उसके साथ अनहोनी होना शुरू हो जाती है। इस वजह से कमई का पुरा गांव के सभी ग्रामीण दूध बेचने से पूरी तरह तौबा कर चुके हैं।
गांव में स्थापित देवता की करनी होती है पूजा।
कमई का पूरा गांव के ग्रामीणों का दावा है कि गांव में स्थापित देवता की सबसे पहले पूजा करनी होती है। जिस व्यक्ति के घर में कोई भी दुधारू पशु दूध देना शुरू करता है तो सबसे पहले उस दूध को गांव के देवता पर चढ़ाया जाता है। इसके बाद ही उस दूध का उपयोग घर के लोग कर पाते हैं। लेकिन देवता की पूजा करने के बाद भी दूध बेचने की इजाजत ग्रामीणों को नहीं होती है। ग्रामीणों का दावा है कि अगर दूध बेचा जाता है तो देवता उसको सजा देते हैं उसे परेशान करते हैं और उस परिवार के साथ कोई अनहोनी हो जाती है।
सिर्फ घी बेचने की है इजाजत।
कमाई का पुरा गांव के ग्रामीणों का दावा है कि देवता दूध बेचने की इजाजत नहीं देते हैं लेकिन गांव के लोग दूध का घी बना कर बेच सकते हैं। घी बनाकर बेचने में देवता को कोई आपत्ति नहीं होती है। यही वजह है कि कमई का पुरा गांव के ग्रामीण कभी दूध नहीं बेचते हैं। वह सदैव दूध से घी बनाकर ही उस घी को बेचने का काम करते हैं और घी बेच कर ही वे पैसा कमाते हैं।
ग्रामीणों को प्रशासन की तरफ से नहीं किया गया जागरूक।
ग्रामीण अपने मन में पिछले कई सालों से यह बात जमा कर बैठ गए हैं कि दूध बेचने पर उनके साथ अनहोनी हो जाएगी। खास बात यह है कि ग्रामीणों के इस अंधविश्वास को लेकर अभी तक उन्हें प्रशासन की तरफ से जागरूक नहीं किया गया है। जागरूकता के अभाव में ग्रामीण कही सुनी बातों पर विश्वास करके कई तरह की कहानियां बनाकर लोगों को यह विश्वास दिलाते हैं कि गांव में दूध बेचने पर कोई न कोई अनिष्ट जरूर हो जाता है। प्रशासन को या स्वयंसेवी संस्थाओं को इस बात की जरूरत है कि वे ग्रामीणों को जागरूक करें और साथ ही इस बात का भी पता लगाएं कि ग्रामीणों द्वारा जो दावे किए जाते हैं उन दावों में आखिर कितनी सच्चाई है।