चुनाव जीतकर भी सीएम की कुर्सी हार गए शिवराज, पार्टी ने कर दिया साइड लाइन
विपिन भारद्वाज

Bhopal news: मध्य प्रदेश में भाजपा भले ही प्रचंड बहुमत के साथ चुनाव जीत गई, लेकिन शिवराज सिंह चौहान सीएम की कुर्सी हार गए. तकरीबन 18 साल तक सीएम रहने के बाद वे अब सिर्फ एक विधायक ही बनकर रह गए हैं. हाई कमान ने उनकी जगह डॉक्टर मोहन यादव को सीएम बना कर शिवराज सिंह चौहान को पार्टी के अंदर ही साइड लाइन कर दिया है. दरअसल 2003 में जब बीजेपी की सरकार मध्य प्रदेश में आई थी तब उमा भारती को मुख्यमंत्री बनाया गया था, लेकिन अल्प समय में ही हाई कमान से हुई तनातनी के बाद उमा भारती को हटाकर उनके स्थान पर बाबूलाल गौर को मुख्यमंत्री बना दिया गया था. बाबूलाल गौर भी ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री नहीं रह सके. भाजपा हाई कमान ने एक ही कार्यकाल में मध्य प्रदेश की जनता को तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान दे दिए. शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री की कुर्सी पर एक बार ऐसे बैठे कि वे लगातार सीएम बनते गए. 2008 के चुनाव में बीजेपी एक बार फिर जीतकर मध्य प्रदेश में सरकार बनाकर खड़ी हो गई और सीएम एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान को बना दिया गया. 2013 में भी बीजेपी ने मध्य प्रदेश में जीत दर्ज कराई और एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बन गए. 2018 के चुनाव में बीजेपी की सरकार नहीं बन सकी लेकिन जब कमलनाथ सरकार गिर जाने के बाद मध्य प्रदेश में दोबारा बीजेपी की सरकार बनी, तब एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान ही मुख्यमंत्री बनाए गए. इस तरह लगातार मुख्यमंत्री रहते हुए शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश की सरकार बहुत अच्छे ढंग से चलाई. उन्होंने बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ की दिशा में अच्छा कार्य किया. उनकी ही सरकार ने लाडली लक्ष्मी जैसी योजना दी और इसके बाद शिवराज सरकार ने ही लाडली बहना जैसी जबरदस्त योजना शुरू करके शिवराज सिंह ने पूरे मध्य प्रदेश की महिलाओं के भाई बनाकर सभी का दिल जीत लिया. 2023 के चुनाव में बीजेपी को मिली प्रचंड जीत के पीछे भी लाडली बहना योजना को ही माना जा रहा है. इस योजना का प्रचार प्रसार करने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया. हर जिले में जा जाकर इस योजना के बारे में लोगों को बताया, लेकिन जब बीजेपी की सरकार बन गई तो शिवराज सिंह चौहान को ही साइड लाइन कर दिया गया है. इस बार उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया. मुख्यमंत्री तो छोड़िए उन्हें मंत्री तक नहीं बनाया गया. अब वे सिर्फ एक विधायक बनकर ही रह गए, लेकिन इसके बावजूद उनके अंदर हमेशा हलचल बनी रहती है. यही वजह है कि वह किसी न किसी जगह पहुंचकर इस तरीके का माहौल बना देते हैं कि वहां का हर एक घटनाक्रम मीडिया में सुर्खियां बटोर लेता है. लेकिन जिस तरीके से शिवराज सिंह चौहान को पार्टी ने साइड लाइन कर दिया है उससे तो यही लगता है कि पार्टी ने अब शिवराज सिंह को सिर्फ एक विधायक बनकर ही छोड़ दिया है.