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सिंधिया समर्थकों को एक बार फिर से विधानसभा चुनाव का टिकट देना क्या बीजेपी को पड़ सकता है भारी?

शाइनिंग एमपी

कांग्रेस सरकार को औंधे मुंह गिरा कर बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया अब खुद बीजेपी के लिए परेशानी बनते नजर आ रहे हैं। इसकी वजह सिंधिया के वह समर्थक हैं जिन्होंने बीजेपी नेताओं के टिकट काटकर साल 2020 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। सिंधिया के इन समर्थकों में से कुछ को जीत हासिल हुई और कुछ को हार मिली लेकिन अब सिंधिया के यही समर्थक एक बार फिर से 2023 के विधानसभा चुनाव में टिकट की आस लगाए बैठे हैं। सिंधिया भी अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने के लिए जोर लगाते नजर आ रहे हैं लेकिन ऐसे में उन बीजेपी नेताओं को मनाना बीजेपी के लिए मुश्किल साबित होगा जिन्होंने 2020 के बाई इलेक्शन में पार्टी के कहने पर सिंधिया समर्थकों को चुनाव जिताया था और अपनी सीट छोड़ दी थी।
दरअसल जबसे ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक बीजेपी में आए हैं तब से बीजेपी तीन खेमों में बंटी नजर आ रही है। पहला खेमा शिवराज बीजेपी का है दूसरा खेमा महाराज बीजेपी का है और तीसरा खेमा नाराज बीजेपी का है। शिवराज बीजेपी और महाराज बीजेपी में तो कोशिश करके सामंजस्य बैठाया जा रहा है लेकिन नाराज बीजेपी इस सामंजस्य से दूर नजर आ रही है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों वाले कई विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के कद्दावर नेता टिकट मिलने की आस लगाए बैठे हैं लेकिन सिंधिया समर्थकों की वजह से उनको टिकट मिलना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। 2020 के उपचुनाव में सिंधिया समर्थक बीजेपी प्रत्याशियों को जिताने के लिए जिन नेताओं ने पूरा जोर लगाया अब वही नेता टिकट पाने की खातिर पार्टी के अंदर लगातार प्रयास कर रहे हैं लेकिन अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे सिंधिया समर्थकों के बीजेपी प्रत्याशियों को कितना समर्थन कर पाएंगे यह देखने वाली बात होगी। हम आपको ऐसी 5 विधानसभा सीट के बारे में बताने जा रहे हैं जहां सिंधिया समर्थकों की वजह से बीजेपी के दिग्गज नेताओं के टिकट कटने की संभावना जताई जा रही है।

ग्वालियर विधानसभा-ग्वालियर विधानसभा से बीजेपी के दिग्गज नेता और अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जय भान सिंह पवैया चुनाव जीतकर शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं। साल 2020 के उप चुनाव में इसी सीट पर से बीजेपी ने सिंधिया के साथ बीजेपी में आए प्रदुमन सिंह तोमर को टिकट देकर जय भान सिंह पवैया का टिकट काट दिया था। पार्टी के आदेश पर जय भान सिंह पवैया ने प्रद्युमन सिंह तोमर का भरपूर सहयोग किया और उन्हें जिताने में काफी योगदान दिया लेकिन इस बार फिर से प्रदुमन सिंह तोमर ग्वालियर विधानसभा में पूरी तरह एक्टिव है। उनकी सक्रियता को देखकर लग रहा है कि बीजेपी उन्हें एक बार फिर से अपना उम्मीदवार बना सकती है लेकिन जय भान सिंह पवैया के सामने अब राजनैतिक संकट गहराता नजर आ रहा है क्योंकि प्रदुमन सिंह तोमर के टिकट मिलने पर जय भान सिंह पवैया के सामने यह मुश्किल खड़ी हो जाएगी कि आखिर वह अब किस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ पाएंगे। ऐसे में जय भान सिंह पवैया को मनाना बीजेपी के लिए मुश्किल भरा हो सकता है।

मेहगांव विधानसभा-मेहगांव विधानसभा सीट पर बीजेपी के दो कद्दावर नेता नजर गढ़ाए हुए हैं। वर्तमान में बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश चौधरी मेहगांव विधानसभा से एक बार विधायक भी रह चुके हैं और 2020 के उपचुनाव में मुकेश चौधरी ने सिंधिया समर्थक बीजेपी प्रत्याशी ओ पी एस भदौरिया को जिताने में पूरी ताकत लगा दी थी। इसके अलावा मेहगांव से ही विधायक रह चुके राकेश शुक्ला भी बीजेपी के टिकट पर एक बार फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। दोनों ही बीजेपी नेता इस बार अपने अपने लिए टिकट की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ऐसे में अगर सिंधिया एक बार फिर से ओ पी एस भदौरिया को टिकट दिलाने में सफल हो जाते हैं तो बीजेपी के सामने इन दोनों ही नेताओं को मनाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।

गोहद विधानसभा-गोहद विधानसभा से लाल सिंह आर्य बीजेपी का एक मजबूत चेहरा है। लाल सिंह आर्य शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में वे बीजेपी में अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। साल 2020 के उप चुनाव में लाल सिंह आर्य ने सिंधिया समर्थक और बीजेपी प्रत्याशी रणवीर जाटव का भरपूर सहयोग करते हुए उन्हें चुनाव जिताने की कोशिश की थी लेकिन रणवीर जाटव कांग्रेस प्रत्याशी से हार गए थे। रणवीर जाटव एक बार फिर से टिकट की उम्मीद बीजेपी से लगाए बैठे हैं। सिंधिया समर्थक होने की वजह से उन्हें इस बात का लाभ भी मिल सकता है लेकिन लाल सिंह आर्य भी इस बार गोहद विधानसभा सीट से अपना भाग्य आजमाने के लिए तैयारी कर चुके है। ऐसे में अगर रणवीर जाटव को बीजेपी का टिकट मिलता है तो लाल सिंह आर्य को बीजेपी कैसे संतुष्ट कर पाएगी यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

मुरैना विधानसभा-मुरैना विधानसभा से साल 2020 के उपचुनाव में सिंधिया समर्थक रघुराज सिंह कंसाना को बीजेपी ने टिकट दिया था। बीजेपी के कद्दावर नेता एवं पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह समेत अन्य नेताओं ने रघुराज सिंह कंसाना का सहयोग भी किया लेकिन वे चुनाव हार गए। अब अगर एक बार फिर से रघुराज सिंह कंसाना को बीजेपी 2023 के विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाती है तो इस सीट से पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के साथ हमीर पटेल और गीता हर्षाना जैसे भाजपा के नेताओं को बीजेपी किस तरह शांत रख पाएगी यह देखने वाली बात होगी।

दिमनी विधानसभा-दिमनी विधानसभा सीट पर 2020 के उप चुनाव में सिंधिया समर्थक गिर्राज दंडोतिया ने बीजेपी का टिकट हासिल किया था लेकिन यहां से गिर्राज दंडोतिया हार गए थे। अब एक बार फिर से गिर्राज दंडोतिया बीजेपी से दिमनी विधानसभा का टिकट लेने की जुगत में है। ऐसे में पूर्व विधायक और बीजेपी के कद्दावर नेता शिवमंगल सिंह को मनाना बीजेपी के लिए एक चुनौती होगा क्योंकि शिवमंगल सिंह भी यहां से बीजेपी की टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं।

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